लोक निर्माण विभाग में फर्जी अभिलेख के माध्यम से पंजीकरण, जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज करने की मांग, मुख्यमंत्री को शिकायत
05/01/2025 9:47 AM Total Views: 11276
लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में फर्जी अभिलेख प्रस्तुत कर जालसाजी और धोखाधड़ी से पंजीकरण कराने का गंभीर मामला प्रकाश में आया है। जालौन जिले के सुशील नगर, उरई निवासी ठेकेदार शालिनी दीक्षित ने अपने बेटे आशीष दीक्षित के मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर विभाग में पंजीकरण करा लिया था। इसमें फर्म तो ब्लैक लिस्ट कर दी गई पर न तो धोखाधड़ी का केस हुआ न ही रिकवरी की कारवाई की गई।
इस मामले की शिकायत रतन पाण्डेय ने मुख्यमंत्री से की हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से कारवाई करने के निर्देश भेजे गए हैं।
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काली सूची में डाले जाने के बाद भी एफआईआर नहीं
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18 नवंबर 2024 को जारी आदेश संख्या-11941 एमटी/सामान्य वर्ग के अनुसार शालिनी दीक्षित को काली सूची में डाल दिया गया था। इसके बावजूद, इनके खिलाफ अब तक भारतीय दंड संहिता के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार एफआईआर की प्रक्रिया को उच्च अधिकारियों के प्रभाव में रुकवा दिया गया है।
गुणवत्ता विहीन कार्यों की जांच और वसूली का अनुरोध
आरोप है कि फर्जी पंजीकरण के आधार पर इन ठेकेदारों ने विभाग में कई गुणवत्ता विहीन और अधोमानक कार्य किए हैं। सीएम से मांग की गई है कि इन कार्यों की तिथि से अब तक की जांच कराई जाए और विभाग को हुए नुकसान की राशि इन ठेकेदारों की संपत्तियों को नीलाम कर वसूली जाए।
उच्च अधिकारियों पर सवाल
मामले में यह भी आरोप लगाया गया है कि दलालों के दबाव और प्रभाव के कारण विभाग द्वारा अब तक सख्त कार्रवाई नहीं की गई। इसने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जनता में आक्रोश
फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के इस मामले को लेकर जनता और क्षेत्रीय सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि इस मामले में जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
यह मामला न केवल विभाग की साख को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ कठोर कदम उठाने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

