उत्तर प्रदेश में तबादला एक्सप्रेस पटरी से उतरी, स्थानांतरण नीति की उड़ रही धज्जियां”
20/06/2025 10:46 PM Total Views: 11114
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चल रहे स्थानांतरण सत्र को लेकर राज्य में एक नई हलचल पैदा हो गई है। मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (कार्मिक) द्वारा निर्गत की गई स्थानांतरण नीति की खुलकर अनदेखी हो रही है, जिससे कई विभागों में अफसरशाही पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे. एन. तिवारी ने आरोप लगाया है कि ऑनलाइन आधारित स्थानांतरण प्रणाली को दरकिनार करते हुए स्थानांतरण प्रक्रिया को फिर से “उद्योग” का रूप दे दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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दर्जनों विभागों में ‘स्थानांतरण सत्र-0’ घोषित
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निबंधन, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, पशुधन, कृषि, वन, आयुष, स्टांप एवं पंजीयन जैसे 12 से अधिक विभागों में अब तक 1000 से अधिक स्थानांतरण निरस्त करते हुए स्थानांतरण सत्र को शून्य घोषित किया जा चुका है।
सर्वाधिक गंभीर आरोप उन्हीं विभागों पर लगे हैं, जिनके अधीन प्रमुख सचिव (कार्मिक) स्वयं हैं — विशेष रूप से कर निबंधन विभाग, जहां मुख्यमंत्री को स्थानांतरण रद्द कराने तक की नौबत आ गई।
नीति के विपरीत, मनमानी और लेनदेन के आरोप
खाद्य रसद विभाग, स्वास्थ्य विभाग, बेसिक शिक्षा और होम्योपैथी विभाग में संगठनों की संस्तुति की अनदेखी करते हुए पारदर्शिता और वरिष्ठता मानकों की अवहेलना की गई। कई स्थानों पर वर्षों से जमे अधिकारियों को नहीं हटाया गया, जबकि कम समय सेवा वाले कर्मचारियों को जबरन ट्रांसफर कर दिया गया।
तिवारी ने कहा कि पिछले वर्षों में मुख्यमंत्री द्वारा पारदर्शी स्थानांतरण प्रक्रिया लागू करने के प्रयास सराहनीय थे, लेकिन इस बार कई विभागों में भारी गड़बड़ियों और कथित उगाही ने स्थिति को चिंताजनक बना दिया है।
प्रमुख सचिव (कार्मिक) की भूमिका पर भी उठे सवाल
परिषद ने स्पष्ट किया है कि इस बार स्थानांतरण प्रक्रिया में परामर्शी विभाग — कार्मिक — की भूमिका सबसे बड़ी विफलता के रूप में सामने आई है। तिवारी ने मांग की है कि प्रमुख सचिव कार्मिक की जिम्मेदारी की भी जांच की जाए, क्योंकि उनका नियंत्रण अब कमजोर होता दिखाई दे रहा है।
📢 संयुक्त परिषद की अपील
- जे एन तिवारी ने मुख्यमंत्री के ई-पोर्टल पर दर्ज कराए गए पत्र के माध्यम से मांग की है कि:
- सभी गड़बड़ स्थानांतरणों की स्वतंत्र जांच हो,
- पारदर्शिता भंग करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए,
- स्थानांतरण नीति की समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।

