यूपी PWD में बिना शासनादेश के मुख्यालय से संबद्ध एक्सीएन को दिया एसई का चार्ज
13/12/2024 10:59 PM Total Views: 11256
- शासन ने एक साल में नियम 10-दो से संबंधित जांचों में मांगी गई रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में अजब गजब खेल चल रहा है। यहां एक वरिष्ठ अधिकारी सत्यवीर यादव जो कि वर्तमान में अधिषासी अभियन्ता के पद पर कार्यरत हैं। इनको तत्कालीन मुख्य अभियन्ता (परिवाद) राजीव कुमार यादव द्वारा बिना शासन के आदेश के नियमों का उल्लंघन करते हुए वरिष्ठ स्टाफ अफ़िसर (परिवाद)/अधीक्षण अभियन्ता का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।
यह आदेश 25 अक्टूबर 2023 को जारी किया गया था जबकि सत्यवीर यादव की तैनाती मार्च 2024 में रोड सेफ्टी खंड लखनऊ में नियमित रूप से की गई थी। इसके बावजूद उन्हें परिवाद कार्यालय में वरिष्ठ स्टाफ़ ऑफिसर/अधीक्षण अभियन्ता का अतिरिक्त कार्य सौंपकर कराया जा रहा है। यह वर्तमान शासन के आदेशों और विभागीय नियमों का घोर उल्लंघन है।
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इस आदेश के बाद से ही यह सवाल उठ रहा है कि कैसे एक अधिकारी जिसे पहले अनियमितताओं के कारण मुख्यालय से सम्बद्ध किया गया था। उसे बिना शासनादेश के इतनी संवेदनशील और गोपनीय जिम्मेदारी दी गई। विशेष रूप से तब जब उनके खिलाफ पहले ही शिकायतें और आरोप लगाए गए थे। यह मामला राज्य सरकार और विभागीय उच्च अधिकारियों के जीरो टॉलरेंस का मजाक है। यह कार्यप्रणाली विभागीय अनुशासन और शासन के आदेशों की अवहेलना है।
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मुख्य अभियन्ता का कथित सांठ-गांठ
इस विवाद का मुख्य कारण यह है कि राजीव कुमार यादव मुख्य अभियन्ता (परिवाद) ने अपने अपने अधीनस्थ अधिशासी अभियंता को अतिरिक्त रूप से कार्य देख रहे सत्यवीर यादव से सांठ-गांठ करके उनके खिलाफ पहले से चल रही जांचों के बावजूद उन्हें इस उच्च पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का अतिरिक्त कार्य सौंपा गया। सत्यवीर यादव के खिलाफ कई शिकायतें और अनियमितताएं पाई गई थीं। जिसके कारण उन्हें परिवाद कार्यालय में तैनात नहीं किया गया था बल्कि उन्हें रोड सेफ्टी खंड में भेजा गया था।
अभी भी कार्यभार क्यों दिया जा रहा है ?
सत्यवीर यादव को अतिरिक्त रूप से मुख्य अभियन्ता (परिवाद) के अधीन कार्य संपादित करने के आदेश के इतर जाकर 25 अक्टूबर 2023 को उन्हें बिना शासन के आदेश के वरिष्ठ स्टाफ अफ़िसर (परिवाद)/अधीक्षण अभियन्ता का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया। इस आदेश का पालन विभागीय नियमों और शासनादेशों के खिलाफ किया जा रहा है। जबकि परिवाद कार्यालय में तीन अन्य अधिषासी अभियन्ता पहले से कार्यरत हैं।
नियमों का उल्लंघन
यह भी देखा गया है कि सत्यवीर यादव के खिलाफ जांचें अभी भी लंबित हैं। उन्हें मुख्यालय से सम्बद्ध किया गया था। फिर भी तत्कालीन चीफ राजीव कुमार यादव ने उन्हें वरिष्ठ अभियन्ता का कार्य दे दिया। जो सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है।
कई सालों से नहीं लिया वेतन
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि सत्यवीर यादव पिछले कई वर्षों से बिना वेतन के विभाग में सेवा कर रहे हैं जबकि शासन स्तर पर उनकी जांच लंबित है। यह जांच का विषय है कि आखिर बिना वेतन लिए सत्यवीर यादव कैसे काम कर रहे हैं। इनके परिवार का खर्चा आखिर कैसा चल रहा है।
शासन द्वारा अनुशासनिक जांचों की समीक्षा बैठक में कड़े निर्देश
कई विभागीय समीक्षा बैठकों में अनुशासनिक जांचों को लेकर कड़े निर्देश दिए गए हैं। इनमें इन अनियमितताओं पर सवाल उठाए गए। यह निर्देश दिया गया कि जांच की कार्यवाही को तुरंत पूरा किया जाए। मुख्यालय द्वारा विभिन्न आरोप पत्रों के गठन में संगत शासनादेशों और निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया गया है। पिछले एक साल में नियम-10(2) से संबंधित जांच प्रकरणों में अलग-अलग रिपोर्ट भेजने पर नाराजगी जताते हुए रिपोर्ट मांगी गई है।

