लोक निर्माण विभाग डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने विभागीय कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
16/12/2024 9:22 PM Total Views: 11295
लोक निर्माण विभाग डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष एन.डी. द्विवेदी ने विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार को लेकर एक पत्र लिखा है। इसमें विभाग में व्याप्त समस्याओं और अनियमितताओं का जिक्र करते हुए उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई है।
पत्र में उठाए गए मुख्य मुद्दे और मांगें:
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कार्य स्थलों का निरीक्षण:
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ठेकेदारों के कार्य स्थलों पर अनुबंधित अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण नहीं किया जाता। यह गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनता है। संघ ने समयबद्ध निरीक्षण की अनिवार्यता की मांग की है।
मशीनरी और संसाधनों का सत्यापन:
ठेकेदारों की मशीनरी, की-पर्सनल और लैब का सत्यापन किए बिना कार्य शुरू करने पर रोक लगाई जाए। सत्यापन पत्र जारी करने के बाद ही कार्य प्रारंभ हो।
निविदा प्रक्रिया में सुधार:
ठेकेदारों द्वारा अनुचित रूप से 40-50% तक की कम दरों पर निविदाएं ली जाती हैं, जिससे कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। संघ ने 10% से कम दरों की निविदाएं न स्वीकार करने का नियम लागू करने की मांग की है।
एडवांस भुगतान का दबाव बंद हो:
उच्चाधिकारियों द्वारा ठेकेदारों को एडवांस भुगतान का दबाव बनाने से गुणवत्ता प्रभावित होती है। संघ ने इस प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग की है।
खराब कार्य पर सख्त कार्रवाई:
ठेकेदार द्वारा खराब गुणवत्ता का कार्य करने पर उससे रिकवरी की जाए और कार्य को रिजेक्ट कर पुनः कराया जाए।
अभियंताओं के स्थानांतरण पर रोक:
सहायक अभियंताओं द्वारा गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रयासों पर उनकी शिकायत की जाती है और उन्हें कार्य से हटा दिया जाता है या स्थानांतरित कर दिया जाता है। संघ ने इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की है।
समय पर स्वीकृतियां:
कार्यों की स्वीकृति में देरी होने से अभियंताओं पर दबाव बढ़ता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है।
तकनीकी सलाहकार पर सवाल:
संघ ने तकनीकी सलाहकार के पद पर सवाल उठाते हुए कहा कि वर्षों से यह पद स्वीकृत है, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इससे तकनीकी सलाहकार की भूमिका पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं।
संघ ने मांग की है कि विभागीय सुधार के लिए उपरोक्त बिंदुओं पर तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि विभाग की कार्यप्रणाली को सुचारू और पारदर्शी बनाया जा सके।

