लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार और महिला कर्मचारियों के उत्पीड़न की शिकायत
05/03/2025 4:21 PM Total Views: 11254
- आशीष दीक्षित नामक व्यक्ति पर लगा आरोप, जांच की कारवाई शुरू
लखनऊ। लोक निर्माण विभाग (PWD) मुख्यालय, लखनऊ में कार्यरत महिला कर्मचारियों के साथ अपमानजनक व्यवहार, डराने-धमकाने और कार्यालय पद्धति को सोशल मीडिया के माध्यम से बदनाम करने का एक गंभीर मामला सामने आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आशीष दीक्षित जो विभाग में दलाली करता है। उसपर आरोप है कि वह विभागीय महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करता है, उन्हें घूरता है, भद्दी टिप्पणियां करता है और उनके चरित्र पर सवाल उठाकर ट्रांसफर-पोस्टिंग में दखल देता है। पीड़ित कर्मचारियों ने इस संबंध में प्रमुख अभियंता (विकास) एवं विभागाध्यक्ष, लोक निर्माण विभाग, लखनऊ को शिकायत पत्र भेजा है, जिसमें पास्को एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई और FIR दर्ज करने की मांग की गई है।
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नकली रजिस्ट्रेशन और भ्रष्टाचार का खेल
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शिकायत में बताया गया है कि आशीष दीक्षित और शालिनी दीक्षित ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन करवाकर करोड़ों के ठेके लिए। आरोप है कि पूर्व प्रमुख अभियंता (विभागाध्यक्ष) पीके सिंह और वर्तमान तकनीकी सलाहकार श्री वीके सिंह के नाम पर दबाव बनाकर उन्होंने अवैध रूप से टेंडर हासिल किए।
जब इस फर्जीवाड़े की जांच हुई, तो 18 मंडलों से घटिया निर्माण कार्यों की रिपोर्ट मांगी गई। लेकिन आरोपियों के प्रभाव के कारण मुख्य अभियंता, मुख्यालय-2 पर दबाव डालकर जांच को दबाने की कोशिश की जा रही है।
महिला कर्मचारियों पर बढ़ता उत्पीड़न
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि आरोपी आशीष दीक्षित मुख्यालय में महिला कर्मचारियों को ताने मारता है। उनकी छवि खराब करने का प्रयास करता है और सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों और कर्मचारियों को बदनाम करता है।
शिकायतकर्ता ने की सख्त कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ता सारिन अंजर पुत्र अंजर नियाज ने विभाग से ये मांग की है।
1. आशीष दीक्षित के खिलाफ पास्को एक्ट के तहत FIR दर्ज की जाए।
2. शालिनी दीक्षित व आशीष दीक्षित द्वारा किए गए फर्जी रजिस्ट्रेशन व नवीनीकरण को लेकर सख्त विभागीय कार्रवाई की जाए।
3. फर्जी फर्म द्वारा किए गए अधोमानक निर्माण कार्यों की विस्तृत जांच कराकर सरकारी नुकसान की भरपाई कराई जाए।
4. लोक निर्माण विभाग मुख्यालय में आरोपी व्यक्ति के प्रवेश पर तत्काल रोक लगाई जाए।
अब यह देखना होगा कि विभाग इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करता है।

